ज्ञानवापी मस्जिद: हिंदू पक्ष ने किया शिवलिंग होने का दावा
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद हिंदू पक्ष ने किया शिवलिंग होने का दावा
तस्वीरें आई सामने
ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे में हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि उन्हें वहां शिवलिंग मिला है जिसकी तस्वीरें हम आपको दिखा रहे हैं
भारत में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में 3 दिन तक चले सर्वे का काम अब खत्म हो गया है!
तीसरे दिन सोमवार को सर्वे की टीम ने नदी की मूर्ति के पास हुए की जांच पड़ताल की जिसमें उन्हें वहां पर एक शिवलिंग मिला है जिसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में शिवलिंग के आसपास जाने पर रोक लगा दी है और वहां पर वजू पर भी पाबंदी लगा दी गई है!
साथ ही साथ ज्ञानवापी में अभी सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने की बात कही गई है
शिवलिंग की तस्वीरें आई सामने
हमें वह एक्सक्लूसिव तस्वीरें मिली है जिसको हिंदू पक्ष शिवलिंग होने का दावा कर रहा है दावा किया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद में कुए के अंदर शिवलिंग है!
जहां पर मुस्लिम समाज के लोग वजू करते थे जिसके बाद उसके आसपास के इलाकों को वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद सील कर दिया गया है
ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के लिए आई हुई टीम ने कुएं की वीडियोग्राफी के लिए अंदर एक वाटर प्रूफ कैमरा डाला !
उसकी जांच की 3 दिनों के सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद में क्या खाने से लेकर गुमन और दीवारों की वीडियोग्राफी हुई अब जो सबूत इकट्ठा किए गए हैं वह मंगलवार को कोर्ट के सामने पेश किए जाएंगे!
वजू खाने में 12 फीट 8 इंच का शिवलिंग मिला
3 दिन तक चले सर्वे में सारे सबूत कैमरे में कैद
पहले दिन खुलवाए गए थे सभी चार तहखाने
दूसरे दिन को बंद नमाज स्थल और वजू स्थल का सर्वे किया गया
3 दिन के सर्वे में शिवलिंग होने का दावा
सोमवार के दिन करीब 2 घंटे का काम वास सर्वे टीम ने नंदी के पास हुए से लेकर बाकी सभी बचे हुए हिस्सों का जायजा किया ! और फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की हिंदू पक्ष दावे मजबूत होने की बात कर रहा है !
तो मुस्लिम पक्ष कुछ भी नहीं मिलने का दावा पेश कर रहा है सर्वे में शामिल सभी वकीलों ने नाम व नाम न छापने की शर्त पर बताया था कि 3 कमरों में सिर्फ कलश घंटियां स्वास्तिक संस्कृत के श्लोक और स्वान की मूर्तियां आधी फोटो हमने ली है! जो हमारे लिए सबसे अहम सबूत है ।
इसके अलावा हिंदू मंदिरों के खंभे भी ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मिले हैं!
हाल की मुस्लिम पक्ष लगातार शिवलिंग ने मिलने की बात को कह रहा है इन तमाम दावों के बीच यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है!
हिस्ट्री ऑफ़ ज्ञानवापी मस्जिद(History of gyanwyapi masjid)
हिस्ट्री ऑफ काशी विश्वनाथ मंदिर(History of kashi vishwanath mandir)
कहते हैं काशी में शिव का एक बहुत ही विशाल मंदिर था इसे मध्यकाल में तोड़कर यहां पर एक मस्जिद बना दी गई!
आओ जानते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का प्राचीन काल का इतिहास
आदिकाल: हिंदू पुराणों के अनुसार काशी में विशालकाय मंदिर में आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर शिवलिंग स्थापित थे।.
2.प्राचीनकाल: 11 वीं सदी में राजा हरिश्चंद्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसका सम्राट विक्रमादित्य ने अपने कार्यकाल में पुन: जीर्णोद्धार करवाया था।
3:1194: 1194 में इस भव्य विशालकाय मंदिर को मोहम्मद गोरी ने लूटने के बाद छुड़वा दिया था।
4:1447 1447 में मंदिर को फिर से स्थानीय लोगों ने बनाया परंतु जौनपुर के शासक सर की सुल्तान महमूद शाह द्वारा इस मंदिर को तोड़ दिया गया और मस्जिद बना रही गई हाल कि इतिहासकारों में इसको लेकर मतभेद हैं!
5:1585 में पुणे राजा टोडरमल की सहायता से पंडित नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया!
6: 1632 मंदिर को सजाने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए अपनी सेना भेजी लेकिन सेना हिंदुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को तोड़ नहीं सकी लेकिन काशी के 63 और मंदिरों को तोड़ दिया गया!
7:1669: 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी कोलकाता में आज भी सुरक्षित है एल पी शर्मा की पुस्तक मध्यकालीन भारत में इस विध्वंस का विवरण है साकी मुस्तफा द्वारा लिखित मासी दे आलम गिरी में इसके संकेत मिलते हैं
8.1669: 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई और तब ज्ञान व्यापी परिसर में मस्जिद बनाई गई थी।
9.1735: 1735 में मंदिर टूटने के 125 साल तक कोई विश्वनाथ मंदिर नहीं था इसके बाद साल 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्या बाई ने ज्ञानवापी परिसर के पास काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया था।
10.1809: ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद पहली बार गर्म आया जब हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद को उन्हें सौंपने की मांग सामने रखी गई।
11.1810: 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मिस्टर वाटसन ने वॉइस प्रेजिडेंट इन काउंसिल को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को हमेशा के लिए सौंपने के लिए कहा था लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया।
12.1829-30: ग्वालियर की महारानी भेजा भाई ने इस मंदिर में ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई
13.1834-84: ज्ञानवापी मस्जिद का पहला जिक्र राज्य सभा दस्तावेजों में जामा मस्जिद ज्ञानवापी के तौर पर दर्ज किया गया।
1936: 1936 में दायर एक मुकदमे पर वर्ष 1937 के फैसले में ज्ञानवापी को मस्जिद के तौर पर स्वीकार किया गया था।
1984: विश्व हिंदू परिषद ने कुछ राष्ट्रवादी संगठनों के साथ मिलकर ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर बनाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की थी।
1991: हिंदुओं के पक्ष की ओर से हरिहर पांडे सोमनाथ व्यास और प्रोफेसर राम रंग शर्मा ने मस्जिद और संपूर्ण परिसर में सर्वेक्षण और पूजा के लिए अदालत में एक याचिका दायर की थी।
1991: मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए दायर याचिका के बाद सांसद ने उपासना स्थल कानून बनाया तब आदेश दिया कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है।
1993: विवाद के चलते इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया
19.1998: कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे की अनुमति दी जिसे मस्जिद प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी इसके बाद कोर्ट द्वारा सर्वे की अनुमति को रद्द कर दिया गया।
20.2018: सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक आदेश की वैधता 6 माह के लिए बढ़ा दी थी!
21.2019:- वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू हुई।
22.2021:- कुछ महिलाओं द्वारा कोर्ट में एक याचिका दायर की गई! जिसमें मस्जिद परिसर में स्थित श्रंगार गोरी मंदिर में पूजा करने की आज्ञा मांगी गई और सर्वे की मांग की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी।
23.2022:- कोर्ट के एक आदेश के अनुसार 2022 के मई माह में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम पूरा हुआ और अब सुनवाई शुरू हुई है।
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